वैश्वीकरण और पर्यटन रोजगार
मैंकिटोश और गोएल्डनर ने कहा है कि “पर्यटकों और आगंतुकों को
आकर्षित करने और उनकी मेजबानी करने की प्रक्रिया में पर्यटकों, व्यापार
आपूर्तिकर्ताओं, मेजबान समुदायों के मध्य होने वाले पारस्परिक व्यवहार से
उत्पन्न होने वाले सम्बन्धों और परिघटनाओं का योग पर्यटन हैं। पर्यटन बहुत ही विस्तृत क्षेत्र है। पर्यटन का पर्याय केवल यात्रा से नहीं अपितु व्यापार, स्वरोजगार, शिक्षा, अनुसन्धान, आर्थिक लाभ आदि से भी है। ऐतिहासिक तौर पर देखा जाए तो पर्यटन केवल आर्थिक तौर पर समृद्ध
राजसी या उच्च वर्ग तक ही सीमित था। अगर इतिहास के पन्नों को
टटोला जाए तो पर्यटन 7वीं शताब्दी तक केवल यूरोपियनों के उच्च वर्ग
तक ही सीमित था, जो कि ग्रैंड टूर के नाम से प्रसिद्ध हुआ। भारत में
करीब 49वीं शताब्दी के आस-पास भारतीयों ने यात्रा आरम्भ की जो कि
मूल रूप से तीर्थ की तरफ हुआ करती थी। सन् 4952 में लन्दन, इंग्लैण्ड,दक्षिण अफ्रीका, कोलम्बो आदि देशों के लिए प्रथम वाणिज्यिक हवाई उड़ानें शुरु हुईं जो कि पर्यटन में जेट युग की शुरुआत थी। पर्यटन न ही केवल किसी क्षेत्र के विभिन्न स्थानों को प्रमुखता दिलवाता है बल्कि सभ्यता,संस्कृति, सामाजिक, रीति-रिवाज, अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना एवं आर्थिक स्थति को भी सुधारता है।
कोराना महामारी के पहले अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटन 44 ट्रिलियन
डॉलर का रहा। हालांकि कोरोना महामारी की मार पर्यटन उद्योग पर भी
उतनी ही पड़ी, जिस प्रकार अन्य उद्योगों पर पड़ी लेकिन पर्यटन उद्योग ने
अपनी गति वापिस तीव्रता से पकड़ते हुए आगे बढ़ रहा है| टी.टी.डी.आई
(ट्रैवल एण्ड टूरिज्म डेवलपमेन्ट इण्डेक्स) के द्वारा भारत 54 वे पायदान पर है जो कि भारत के उज्जवल पर्यटन भविष्य को और शक्तिशाली बना रहा
है।
भारत की पृष्ठभूमि पर पण्डित जवाहर लाल नेहरू ने पहली
बार देश के पर्यटन के महत्व पर ध्यान दिया, उनके अनुसार पर्यटन सिर्फ
अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा का स्रोत नहीं है अपितु राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग,
शान्ति एवं समृद्धी का भी प्रतीक है। ‘फेडरेशन ऑफ इण्डियन चेम्बर ऑफ
कॉमर्स इन इण्डिया और यस॒ बैंक की एक रिपोर्ट में यह पाया गया है
कि भारत में एक पर्यटक द्वारा की जाने वाली औसत यात्रा सिंगापुर में की
जाने वाली यात्रा का 2.8 गुना, मलेशिया में की जाने वाली 4.5 गुना और
चीन की 6.5 गुना समान है। अप्रैल 2022 में भारत में आने वाले पर्यटकों
का आंकड़ा करीबन 392930 रहा और वहीं पर्यटन आय 58330 मिलियन
रही। भारतीय पर्यटन एक नए रूप से उभर कर सामने आ रहा है। यह
आय और रोजगार के नए आयाम स्थापित करने की ओर अग्रसर है। सन्
2020 में पर्यटन उद्योग ने करीबन 34.8 मिलियन रोजगार उत्पन्न किए जो
कि देश के पूर्ण रोजगार में करीबन 7.3 प्रतिशत रहे। ऐसा माना जा रहा है
कि पर्यटन की सतत प्रभाव रोजगारों के अवसरों को सन 2029 तक 53
मिलियन पहुँचा देगा। भारत पर्यटन उद्योग के एक प्रथक परिधीय
दृष्टिकोण को विकसित करने का प्रयास कर रहा है, जिससे आय और
रोजगार के नए स्त्रोत सृजित होगा।
पर्यटन एक ऐसा उद्योग है जो कि हर वर्ग हर उम्र, हर
योग्यता रखने वाले के लिए महत्ता रखता है। पर्यटन उद्योग में आए दिन
नित नए रोजगार के अवसर आते रहते है।। खास तौर पर इन्टरनेट क्रान्ति
के बाद पर्यटन रोजगार कई गुना बढे हैं पर्यटन में रोजगार पारम्परिक से
लेकर अत्याधुनिक प्रविष्टि के होते हैं जैसे ट्रेवल एजेन्ट, ट्रेवल – टूर
ऑपरेटर, टूरिस्ट फेसिलिटेटर टूर एस्कॉर्ट, एमिग्रेशन अफसर, टिकिट
रिजर्वेशन ऐजेन्ट, वीसा ऐजेन्ट, पाक शाला , डेमोस्ट्रेटर, दुभाषिया ट्रेवल
प्लानर, ट्रेवल राईटर , ट्रेवल फोटोग्राफर, ट्रेवल कंसलटेन्ट, मेडिकल टूर
एजेन्ट, ट्रेवल डेस्क मेनेजर, इवेन्ट मैनेजर, ट्रेवल रिसर्चर पि होम सटे मालिक एवं स्टाफ, ग्रामीण पर्यटन उद्योगों, अंग्रेजी पर्यटन, उद्यमी आदि जेसया कि
विदित है कि पर्यटन नित आयामों को रोजगार में बदलने में सुचारू है यही
वजह है कि भविष्य में पर्यटन भारत का ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्व का एक
मजबूत स्तम्भ होगा, जो कि रोजगार के मानचित्र पर पर्यटन उद्योग को
स्वर्ण अक्षरों में उकेरेगा।
डिमास्ट्रैट,, दुभाविया ट्रेवल ब्लॉग ट्रेवल राईटर, ट्रेवल
फोटोग्राफर, टेबिल कंसल्टेन्ट मेडिकल दर एजेन्ट, बिल डेस्क मेनेजर,
इवेन्ट मेनेजर, टेवल रिसर्चर, होम सटे मालिक एवं स्टाफ ग्रामीण पर्यटन
उद्योगी, एग्री पर्यटन, उद्यमी आदि जैसा कि विदित है कि पर्यटन नित नए
आयामों को रोजगार में बदलने में सुचारू है यही वजह है कि भविष्य में
पर्यटन भारत की ही नहीं बल्कि पूरे विश्व का एक मजबूत स्तम्भ होगा
जो कि रोजगार के मानचित्र पर पर्यटन उद्योग को स्वर्ण अक्षरों में
उकेरेगा।
कुछ सालों पहले तक पर्यटन में रोजगार या उद्योग करने के
लिए किसी आवश्यक योग्यता की जव्रूरत नहीं हुआ करती थी, लेकिन
पर्यटन के अन्तर्राष्ट्रीय होते ही इसमें सही प्रकार की शिक्षा व योग्यता की
होना अनिवार्य है। भारत में रहते हुए कोई भी 42वीं उत्तीर्ण छात्र पर्यटन
में तीन साल की डिग्री कर सकता है, जैसे बी.ए., बी.बी.ए.. बी.एच.टी.एम.,
बी.टी.एम., बी.एस.सी., आदि और कोई भी ग्रेजुएट व्यक्ति पर्यटन में दो
साल की डिग्री जैसे एम.बी.ए. (टेवल एण्ड दूरिज्म) एम.ए. (ट्रेवल एण्ड
टूरिज्म) आदि कर सकता है।
इसके अतिरिक्त कई तीन से छः महीने वाले सर्टीफिकेट कोर्स
भी किए जा सकते हैं, लेकिन पर्यटन में सही एवं सुचारू रोजगार के लिए
बी.बी.ए. (ट्रेवल एवं टूरिज्म) और एम.बी.ए. (ट्रेवल एण्ड टूरिज्म) करना
सहायक होंगे। इनके अलावा भारतीय पर्यटन मंत्रालय द्वारा चलाया जा रहा
कोर्स अर्ड.आई.टी.एफ.सी. जिसको करके कोई भी 42वीं पास व्यक्ति अपने
शहर, गाँव या जिले में पर्यटक फेसिलिटेटर के रूप में कार्य कर सकता है।
पर्यटन शिक्षा को अर्जित करने के लिए भारत का ही नहीं
अपितु सम्पूर्ण एशिया में प्रमुख संस्थान है भारतीय पर्यटन और यात्रा
प्रबन्धन संस्थान जो कि भारत सरकार के पर्यटन मंत्रलय के तहत एक
स्वायत्त निकाय है और पर्यटन शिक्षा, प्रशिक्षण, अनुसन्धान और परामर्श में
प्रमुखता रखता है। इस संस्थान में ग्रेजुएट एवं पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स यानि
बी.बी.ए. (ट्रेवल एण्ड टूरिज्म) और एम.बी.ए. (ट्रेवल एण्ड टूरिज्म) करवाया
जाता है। भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबन्ध संस्थान के 5 केन्द्र एवं दो कैंप
ऑफिस हैं।
कोई भी व्यक्ति भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबन्ध संस्थान के
किसी भी केन्द्र जैसे ग्वालियर, नोएडा, गोवा, भुवनेश्वर, नेल्लोर से पढ़ाई
कर सकता है। भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबन्ध संस्थान के अलावा भारत
की कई विश्वविद्यालयों में यह कोर्स चलित है, पर्यटन मनुष्य जीवन को
बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण है। लाओत्जु ने कहा था एक हजार मील की
यात्रा एक कदम के साथ शुरु होती है और इस क्षेत्र में हाल में हुए विकास
के साथ पहला कदम उठाया जा चुका है।
यात्रा ही गंतव्य है
– डैन एल्डन